कौन है हिन्दू यहाँ?
कौन है हिन्दू यहाँ?
कौन?
वे आते है
और हमारे लोगो का रक्त बहाते
है,
और हम-
हम यहाँ अपने स्वार्थ की चादर
भीतर,
उन्हें अपना तक नहीं कहते
|
कौन है हिन्दू यहाँ?
वहाँ केवल एक हिन्दू का नाम
सुन कर,
उन लोगो का खून उबल जाता है;
किन्तु यहाँ-
सेंकडो हिन्दुओ का रक्त बहने
पर भी,
हमारी रगो में जमी बर्फ नहीं
पिघलती |
उनका लहू उनके मौन से नहीं,
हमारे मौन से बहा है |
और तम में जीने वाले हम,
स्वयं को इसका दोषी तक नहीं
मानते!
गुजरात में जलते है हिन्दू
|
किन्तु बाहर किसी को परवाह
नहीं!
बंगाल में मरते है हिन्दू,
किन्तु गुजरात के हिन्दुओ का
रक्त नहीं उबलता!
कश्मीर में कटते है हिन्दू,
किन्तु किसीका मौन नहीं तूटता!
कौन है हिन्दू यहाँ?
यहाँ कोई गुजराती, तो कोई बंगाली!
कोई पंजाबी, तो कोई मराठी!
कोई मारवाड़ी, तो कोई तामील!
कोई ब्राह्मण, तो कोई राजपूत!
कोई दलित, तो कोई ठाकुर!
कौन है हिन्दू यहाँ?
यदि होते कोई हिन्दू यहाँ तो
वह हाथ
जो बढ़ा था हिंदुस्तान के वक्ष
पर,
वह बढ़ने से पहले ही
कट चूका होता!
यदि होते कोई हिन्दू यहाँ तो
वे शीश
जो उठे थे हमारा घर छिनने के
लिए.
वे कबके धड़ से उतर चुके होते!
जिस देश को सींचा है
हमने अपने रक्त से,
किस में इतना साहस कि छीन सके
हम से हमारा अधिकार!
किन्तु
कौन है हिन्दू यहाँ?
कौन?
जहाँ कभी प्रताप और शिवाजी
की हुँकारे गूँजती थी,
वहाँ आज
केवल पत्थर के शिल्प है |
कौन है हिन्दू यहाँ?
ये तो सब धर्म-निरपेक्ष है
|
उस भूमि पर,
जहाँ सनातन धर्म का अस्तित्व
आज संकट में है!
हिन्दुओ का स्वाभिमान
आज संकट में है!
कौन है हिन्दू यहाँ?
कौन?