शुक्रवार, 13 जनवरी 2017

युवा


युवा


ठण्ड में जमी शिराओ में आज रक्त नहीं उबलते,
युवाओ के खोखले दिलो में आज अंगारे नहीं जलते |
सीमाएं लांघ जाते है ये देश की पीठ पर पैर रखकर,
नहीं, नहीं! कोई नहीं बचा जो उठा सके देश का सर!

इनके मस्तिष्क के द्वारो पर कोई ताला लगा है,
उर का सूर्य छिप गया है और तम काला लगा है |
किन्तु देख इनके मन में है केवल तुच्छता के विचार,
है उन आँखों में शीतलता जहां जलने चाहिए अंगार |

लगा रहा है राहु अब इस युवाधन पर कोई ग्रहण,
ठोक-ठोक कर देखो, टटोलो इनके अंतःकरण;
देखो क्या कोई मानवता है अभी तक पल रही? 
देखो क्या कोई चिंगारी है अभी तक जल रही?

लगाओ आग कोई, जलाओ हिमालय इनके अंतरंगों का,
पिघलाओ हिमशिलाए ह्रदय की, उबालो रुधिर रगो का |
तोड़-तोड़ इन पत्थर के युवाओ को डालो इनमे जान,
कि सुन ले पुकार देश की और बने देश का अभिमान |  

~ भार्गव पटेल 

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